आखिरकार दक्षिण में कमल खिल ही गया। बीजेपी के लिए बहुत ही ऐतिहासिक क्षण था। हो भी क्यों न आखिर दक्षिण के किसी भी राज्य में बीजेपी को अपना कदम जमाने का मौका जो मिला।
येदियुरप्पा किसी दक्षिण भारतीय राज्य में भाजपा के पहले मुख्यमंत्री हैं । भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है. इसी के साथ पहली बार किसी दक्षिण भारतीय राज्य का मुख्यमंत्री भारतीय जनता पार्टी का नेता बना है. पिछले कुछ हफ़्तों से चले आ रहे राजनीतिक संकट के बाद राज्य में पिछले 34 दिनों से चला आ रहा राष्ट्रपति शासन भी समाप्त हो गया.
में पहली बार सरकार बनाने में सफल रही है.
काफी जद्दोजहद के बाद सरकार बनाने का मौका मिला था। इसलिए पार्टी के सभी आला नेता इस अवसर को गंवाना नहीं चाहते थे। इसलिए इस ऐतिहासिक मौक़े पर बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह, लोकसभा में विपक्ष के नेता
लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, यशवंत सिन्हा, एम वेंकैया नायडू और अनंत कुमार भी मौजूद थे.

इस क्षण का गवाह तो पूर्व प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेयी भी बनना चाहते थे, लेकिन
उनका साथ उसके स्वास्थ्य ने नहीं दिया। इसलिए अटल जी दिल्ली से ही सिर्फ बधाई देकर ही संतुष्ट करना पड़ा।

गौरतलब है कि बीजेपी-जेडीएस के बीच 20-20 फार्मूला के तहल राज्य में सरकार चलाने की बात तय थी। लेकिन 20 महीने पूरा करने के बाद सत्ता हस्तानांतरण
नहीं होने के कारण दोनों के बीच गतिरोध पैदा हो गयी थी।
लेकिन यहां ये सवाल उठना
लाज़िमी है कि क्या बीजेपी कर्नाटक में विधानसभा के बचे बाकी कार्यकाल पूरा कर पाएगी ? क्या कमल 20 महीने तक खिला रहेगा। स्थिरता के सवाल पर जानकारों का मानना है कि भले ही कर्नाटक में जेडीएस और भाजपा के बीच बना गतिरोध ख़त्म हो गया दिखता हो पर अभी भी जोड़-जुगत का दौर थमा नहीं है. ऐसे में नहीं लगता कि बीजेपी-जेडीएस के बीच जो 20-20 नीति अपनाई गई है, वह सफल साबित होगी। ऐसे में अगर हालातों पर नज़र डाले तो ज्यादा आसार कमल के कुंभ्हलाने की है। बीते दिनों की गतिरोधों पर गौर किया जाय तो जो बात सामने आती है, वह है कि सरकार पर अस्थिरता के बादल छाए रहेंगे।
